Thursday, October 22, 2015

आदमी ही आदमी को छल रहा है
ये क्रम आज से नही बरसों से चल रहा है,

रोज चौराहे पर होता है "सीताहरण"
जबकि मुद्दतों से "रावण" जल रहा है..

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