अगर आप सोचते हैं कि डॉक्टर लालची, बेरहम और बेईमान होते हैं।
अगर आप जागरुक हैं और ईमानदारी से हालात बदलना चाहते हैं तो आगे पढ़ने की हिम्मत करें अन्यथा यहीं रुक जाएं।
मान लीजिये किसी का मोटर सायकल से एक्सीडेंट हो गया। आप उसे अस्पताल ले जाते हैं। डॉक्टर को लगता हैं चोट गंभीर है मृत्यु भी हो सकती है।
उसे लगता है अगर मृत्यु हो गई तो अस्पताल में तोड़ फोड़ हो सकती है और उसे पीटा जा सकता है।
वह कहता है हमारे यहाँ जगह नहीं है कहीं और ले जाएं।
आप क्या करेंगे?
ईश्वर न करे लेकिन मान लीजिये आपके पिताजी को दिल का दौरा पड़ता है।
आप सोचते हैं उन्हे सरकारी अस्पताल ले जाएं, फिर सोचते हैं वहाँ लापरवाही होगी।
आप सोचते हैं चेरीटेबल अस्पताल ले कर जाएं फिर सोचते हैं वहाँ भीड़ में बराबर ध्यान नहीं देंगे।
आप सोचते हैं प्रायवेट अस्पताल ले जाएं फिर आपको लगता है वहाँ लूट लेंगे।
आप ख़ुद सोचिये जब आपका विषेश ध्यान रखा जाता है, विषेश सुविधाएं दी जाती हैं और आधुनिक मशीनें प्रयोग की जाती हैं तो फिर इन सब के लिये पैसा लेना लूटना कैसे हुआ?
फिरभी की हार्ट अटैक का पेशेंट है मर गया तो तोड़ फोड़ होगी और डॉक्टर मना करे तो क्या करेंगे
सब सीरियस पेशेंट को हमे सरकारी में इलाज कराना पड़ेगा सोचो आप भी बूढ़े होनेवाले हो।
☝ सरकारी अस्पताल को सरकार पैसा देती है।
☝ चेरीटेबल अस्पताल को चंदा मिलता है।
☝ प्रायवेट अस्पताल को सारे ख़र्च ख़ुद वहन करना होते हैं।
एक फ़ेमिली डॉक्टर की आमदनी औसतन 5 - 10लाख सालाना होती है।
क्या आप जानते हैं इसी स्तर के डॉक्टर की आमदनी दूसरे देशों में कितनी होती है?
ब्रिटेन में लगभग 60 लाख रुपये और अमरीका में लगभग 1 करोड़ रुपये।
अगर डॉक्टर लूट रहे हैं तो इतना कम क्यूँ कमाते है?
अब आते हैं एक्स रे, MRI आदि पर।
वो बोलते है में
X-Ray: 200 रूपये लेकिन खर्च सिर्फ 50 है
Sonography: 600 रूपये लेकिन खर्चा 150
MRI: 4000 रूपये लेकिन खर्चा 1000 रूपए
लेकिन कोई ये नहीं बताता की
मशीनों की कीमत है
क्ष रे 10 लाख
सोनोग्राफी 20 लाख
CT/MRI 3 करोड़
इसका लोन कैसे भरना
ब्रिटेन में इन्ही चीजो के
X-Ray 5000 रूपये
Sonography: 10000 रूपये
MRI: 25000 रूपये
इतनी कम कीमत पर हो रही जाँचें मंहगी कैसे हुईं।
सरकारी और धर्मार्थ अस्पतालों की दरों पर प्रायवेट में यह जांचें कैसे संभव हैं?
अब दवाइयों की बात करते हैं। मैं दवा कंपनियों का हिमायती नहीं हूँ। लेकिन कुछ बातें कहना चाहूंगा।
क्या आप जानते हैं कि भारत में जीवन रक्षक दवाइयों की कीमत सरकार तय करती है दवा कंपनी नहीं?
क्या आप जानते हैं भारत में दवाइयों की कीमत दूसरे देशों से काफ़ी कम हैं?
जिस स्ट्रेपाटोकायनेज़ की 2300 रुपये कीमत पर लोग शोर मचाते हैं वह अमरीका में 23640 रूपये में मिलता है।
जो क्रोसीन की गोली यहाँ 1 रूपये की है ,आस्ट्रेलिया में 8 रुपये की है।
जो Monocef 1gm भारत में 59.50 रुपये का है इंडोनेशिया में 808.90 रुपये में मिलता है।
और लोग कहते हैं दवा कंपनियां लूटती हैं।
भाइयो कुंए से बाहर भी निकलो।
सब, असली कीमत की बात करते हैं जिससे उनका अभिप्राय उत्पादन लागत से होता है। कभी होलसेल रेट की बात करते हैं।
☝क्या आपको पेप्सी होलसेल रेट पर मिलती है?
☝क्या आपको प्याज़ उत्पादन लागत पर मिलती है?
क्या आपने ये सोचा है दाल फ्राई ढाबे पर 50 में और होटल में 500 में क्यों मिलती है
क्योकि ढाबा 50 हजार में बनता है और होटल को काम से काम 50 लाख या उससे भी जादा लगता है।
क्या आप कभी होटल मालक से झगडे है की दाल फ्राई महँगी हो गयी
तो आप क्यूँ सोचते हैं प्राइवेट में सरकारी दाम पर उपचार मिले या दवाइयां इस भाव पर मिलें?
थोड़ी तो समझ से काम लें।
कहते हैं जब आपको एक आदमी बुरा दिखे वह बुरा होगा , दौ बुरे हो सकते हैं अगर अधिकतर बुरे दिखें तो आपको ख़ुद के गिरेबान में झांकना चाहिये।
अगर आपको माता पिता और गुरुजन के बाद आपके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉक्टरों में अधिकतर लुटेरे नज़र आते हैं तो समझ लें अंतरमन में झांकने का समय आ गया है।
एक लाइन और अगर फिर भी ऐसा लगता है तो अपने बच्चों को डॉक्टर बनाईये खुद बखुद पता चल जायेगा के लूट है या ज्यादातर तो सही मेहनताना भी नही मिल पाता।
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