Monday, November 30, 2015
Saturday, November 28, 2015
हरियाणवी आदमी जवाब उल्टे नही देता...
हरियाणवी आदमी जवाब उल्टे नही देता... लोग सवाल उल्टे करते हैं। नहीं यकीन आता, तो पढ़िए
जज: तू तीसरी बार अदालत आया है, तने शर्म कोनी आती?
आदमी: तू तो रोज़ आवे है, तने तो डूब के मर जाना चाहिए ।
ग्राहक: थारी भैंस की एक आंख तो खराब सै, फेर भी तू इसके 25 हज़ार रुपये मांगन लाग्र्या सै?
आदमी: तन्नै भैंस दूध खात्तर चाहिए या नैन-मटक्का करन खात्तर..
..
हज़्ज़ाम: ताऊ, बाल छोटे करने है के...?
ताऊ: बड़े कर सके है के !!
एक दिन पड़ोस का हरयाणवी छोरा आ के बोल्या-
" रे चाचा, अपनी इस्त्री देदे... "
चाचा ने अपनी जनानी की ओर इसारा करया और बोला- " ले जा, वा बैठी.. "
छोरा चुप चाप देखन लाग्या...
बोला- " चाचा यो नहीं, कपडे वाली.."
चाचा बोल्या- " भले मानस, यो तन्ने बगेर कपड़े दिखे है के "
छोरा गुस्से में चीखा- " रा चाचा
बावला ना बन, करंट वाली इस्त्री.."
चाचा- " बावले, हाथ ते लगा के देख...जे ना मारे करंट, फेर कहिये..."
बहुत बेहतरीन कविता
तू जिंदगी को जी, उसे समझने की कोशिश न कर
सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन,उसमे उलझने की कोशिश न कर
चलते वक़्त के साथ तू भी चल, उसमे सिमटने की कोशिश न कर
अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले, अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर
मन में चल रहे युद्ध को विराम दे, खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर
कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे, सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर
जो मिल गया उसी में खुश रह, जो सकून छीन ले वो पाने की कोशिश न कर
रास्ते की सुंदरता का लुत्फ़ उठा, मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर....
Friday, November 27, 2015
प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं;
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं;
बेरुख़ी इससे बड़ी और भला क्या होगी;
एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं;
रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने;
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं;
सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने;
वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं;
तुम तो शायर हो "क़तील" और वो इक आम सा शख़्स;
उसने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं।
Thursday, November 26, 2015
Monday, November 23, 2015
चिंतनीय प्रसंग
आज मंदिर में बहुत भीड़ थी,
एक लड़का दर्शन के लिए लगी लम्बी लाइन को कुतुहल से देखरहा था।
तभी पास में एक पंडित जी आ गए और बोले-"आज बहुत लम्बी कतार है, यूँ दर्शन न हो पाएंगे,
विशिष्ट व्यक्तियों के लिए विशेष व्यवस्था है, रु ५०१ दो में सीधे दर्शन करवा दूँगा !
"लड़का बोला-" रु ५००१ दूंगा, भगवान से कहो बाहर आकर मिल लें, कहना- मैं आया हूँ !
"पंडितजी बोले-" मजाक करते हो, भगवान भी कभी मंदिर से बाहर आते हैं क्या ? तुम हो कौन ?"
लड़का फिर बोला-" रु ५१००० दूंगा, उनसे कहो मुझ से मेरे घर पर आकर मिल ले !
"पंडितजी (सकपका गए और) बोले-"तुमने भगवान को समझ क्या रखा रखा है?
"लड़का बोला-" वही तो मैं बताना चाहता हूँ कि आपने भगवान को क्या समझ रखा है?????