झारखण्ड में हजारीबाग - बरकाकाना रेल रूट पर लोहरियाटांड़ गाव के पास एक अजब नजारा देखने को मिल रहा है यहाँ रेल की पटरियां सुबह 8 बजे अपने आप मुड़ती हुई आपस में चिपकने लगती हैं और 3 घंटे में पूरी तरह से मिल जाती हैं शाम 3 बजे के बाद पटरियां वापस अलग हो जाती हैं अभी इस रुट पर रेलवे चालू नही हो पाई है विशेष्ाज्ञ इस गुत्थी को सुलझाने में अपना दिमाग खपा रहे हैं जबकि गाव वाले पूजा अर्चना में लग गए हैं।
बताते हैं की पटरियों पर खिचाव इतना ज्यादा है कि लोहे के मज़बूत क्लिप तक उखड गयी हैं।
ये पटरी एक चट्टान के ऊपर से गुजर रही है वैज्ञानिक मान रहे हैं कि चट्टान में कही से कोई चुम्बकीय शक्ति काम कर रही है पर अभी तक कोई निष्कर्ष नही निकला।।
Monday, April 6, 2015
अजब गजब
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